- 'कोरोना वायरस के महा
योद्धा अनिल सिंघम
- श्रीगोपाल गुप्ता
- कोरोना महामारी से भारत जैसे विशाल देश को और इसकी एकसौ तीस करोड़ जनता को बचाने के 24 मार्च को रात्री आठ बजे प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने रात 12 बजे लाॅकडाऊन की घोषणा कर दी! सारा राष्ट्र अवाक और हैरान होकर स्तब्ध रह गया कि अचानक न कोई तैयारी और न कोई सूसर और देश टोटल लाॅकडाऊन के हवाले, मगर यह प्रश्न था कोरोना जैसी महामारी से खुद को और देश को बचाने का एकमात्र उपाय है न चाहते हुये भी राष्ट्र ने इसको स्वीकार किया!लाॅकडाऊन -1 के बाद लाॅकडाऊन -2 फिर 3 और अब 4 जो 31 मई तक चलेगा! हालांकि अब कोरोना की चिंता छोड़ आहिस्ता-आहिस्ता देश सामान्यता की और बढ़ रहा है! अभी हाल ही में जिला प्रशासन ने कोरोना महामारी के बीच जिले में इससे लड़ने वाले कोरोना योद्धाओं की एक सूची तैयार की जिनमें डाॅक्टर्स, सरकारी कर्मचारी और समाज सेवियों को अपनी जान-जोखिम में डालकर लोगों की मदद करने के लिए मुरैना के सांसद व केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा सम्मानित किया! निश्चित ही यह एक अच्छा और उत्साहवर्धन करना वाला जिला प्रशासन का कदम था, ऐसे आयोजन महामारी के समय होते रहने चाहिये जिससे अन्य लोग भी मजबूर और बेबस लोगों की मदद के लिए आगे आयें! मगर यहां यह कहना लाजिमी होगा कि जिला प्रशासन द्वारा तैयार की गई सूची में ऐसे बहुत से नाम छूट गये हैं जिन्होने न केवल तन और मन से जरुरत मंदों की सेवा की बल्कि धन की कमी भी नहीं आने दी! उन बहुत सारे कोराना योद्धाओं की सूची में एक नाम बहुत महत्वपूर्ण है जिसे मेने बहुत नजदीक से दिन तो दिन रात में भी लोगों की मदद करते हुये अपने घरों में कैद मुरैना की जनता की जनता की निस्वार्थ सेवा करते अपनी आंखों से देखा है, इसलिये ये आलेख लिखना मेरे लिए जरुरी हुआ है! किसी भी प्रशंसा और प्रमाणपत्र व सम्मान लेने में हमैशा वे पीछे रहते हैं, बावजूद इसके प्रशासन को चाहिये था कि वे मुरैना के और लालों को भी सूची में दर्ज कर सम्मानित करते! भले ही प्रशासन ने उन जैसे अनेक योद्धाओं को नकार दिया मगर मुझे खुशी है कि इस आपातकाल में जिन जरुरत मंदो की मदद की है वे हमैशा उन्हें अपने दिलों में महफूज रखेंगे! ऐसे ही कोरोना महायोद्धाओं में एक नाम है अनिल कुमार सिंघल जिन्हें लोग प्यार से और उनकी महान समाज सेवा को देखते हुए 'सिंघम' के नाम से पुकारते हैं! लाॅकडाऊन की घोषणा के बाद तत्काल ट्रेन बंद,हवाई जहाज बंद, घर से निकलना बंद सारे रास्ते कोरोना के वास्ते बंद, अजीब कशमोकश में देश फंस गया और फंस गये वे लाखो-करोड़ों भारतीय जो दीगर शहर में पढ़ने-लिखने, अपने रिस्तेदारों से मिलने और दूर-दराज के क्षेत्रों में दो जून की रोजी रोटी का इंतजाम करने गये गये थे! उन्होने इस लाॅकडाऊन में कोरोना से बचने से ज्यादा दूर-दराज के क्षेत्रों में अपने घरों में लोटने का फैसला किया! नतिजा पूरी दुनिया और देश ने देखा कि किस कदर लाखो मजदूर और बेबस लोग ट्रकों में जानवरों की तरह लदकर और पैदल ही अपने घरों और गांव की और निकल लिये! ऐसे भूखे-प्यासे हजारों मजदूर और बेबस लोग छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओं के साथ दीगर राज्यों से चम्बल नदी पार कर मुरैना जिले की सीमा में पहुंचे में पहुंचे, मगर यहां उनके लिए आत्म संतोष की बात थी गरम-गरम खाने के साथ उनका इस्तकबाल करने के लिए सिंघम और उनकी टीम खड़ी थी! जब तक राज्य सरकार इस पर संज्ञान लेती तब तक बीस दिनों तक बिहारी जी भक्त मंडल के माध्यम से खाना और पानी उन जरुरत मंदो के हवाले किया गया! इधर शहर में जब हर कोई करोना के भय से घरों छुप गये तब ऐसे हालातों में अपनी जान-जोखिम में डालकर अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे पुलिस व सरकारी मुलाजिमों तक कई रोज सिंघम ने उनका ख्याल रखते हुये खाने के डिब्बे पहुंचाये! अब जब जरुरत मंद की मदद का सिलसिला शुरु हो ही गया तो सिंघम ने लाॅकडाऊन में फंसे अनेक गरीब और मजदूरों के घरों पर खाना और राशन भेजा और खुद भी ही देने गये! मामला यहीं नहीं रुका शहर में विचरण करने वाले रोज सुबह शाम अन्न क्षेत्रों में खाना खाने वाला साधू और निरीह लोगों को खाने खिलाने की भी उन्होने मुहीम शुरु की और साथियों के साथ भंडारे की व्यवस्था की जो दो महिने तक सफलता पूर्वक चली! न जाने कितने सपन्न मगर जरुरत मंद परिवारों के लिए सिंघम एक परिवार के सदस्य के रुप में अवतरित हुये!कई घरों में निशुल्क सामान पहुंचाना, मरीजों द्वारा बताई गई दवाइयां पहुंचाना, और भी ऐसी जरुरी मदद जो लाॅकडाऊन में किसी के लिए संभव नहीं थी वो सिंघम और उनकी टीम हर जरुरत मंद को पहुंचाई! इससे भारत की जनता का ये विश्वास और मजबूत हुआ है कि कैसी भी बड़ी विपदा या महामारी हो उसके पास सिंघम जैसे हजारों बेटे हैं जो अपने पूर्वजों से प्रेरणा पाकर हर जरुरत मंद की मदद करके अपने शहर और परिवार का नाम रोशन करते हैं!सही मायने में कहा जाये कि अन्य समाज सेवी और योद्धाओं के बीच सिंघम कोरोना वायरस में महायोद्धा के रूप में सामने आये हैं! मैं उनकी निस्वार्थ सेवा को देखते हुए कह सकता हूँ कि लाॅकडाऊन के काले स्याह अंधेरे में भी उन्होने हर जरुरत मंद की वो जरुरत पूरी की जिसको पूरी करना प्रशासन, दुकानदार या अन्य किसी के लिए मुमकीन नहीं था! मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुये भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि 'आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूँ 'की भावना उनमें सदा बनी रहे!यह भी उल्लेखनीय है कि भगवान श्री बिहारी जी अनन्यतम भक्तों में शुमार सिंघम सर्राफा कमेटी मुरैना के उपाध्यक्ष होकर शहर की लगभग सभी धार्मिक व सामाजिक संस्था के सदस्य हैं।
- 'कोरोना वायरस के महा
'कोरोना वायरस के महा योद्धा अनिल सिंघम